वर्ष
: 2013
खण्ड - II
आयोग के पदाधिकारी व अधिकारियों/कर्मचारियो की शक्तियां और कर्तव्य
(सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4(1)(ख)(ii)
के अंतर्गत)
राज्य सूचना आयोग की शक्तियॉं
शिकायत
अधिनियम के अघ्याय 5
में आयोग की शक्तियॉं तथा कर्तव्यों का विवरण दिया गया है। राज्य सूचना
आयोग, ऐसे व्यक्ति से
शिकायत प्राप्त करके उसकी जॉंच कर सकता है:-
(क)
जो, राज्य लोक सूचना
अधिकारी को इस कारण से अनुरोध प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा है कि इस
अधिनियम के अधीन ऐसे अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है,
या राज्य सहायक लोक सूचना
अधिकारी ने इस अधिनियम के अधीन सूचना या अपील के लिए धारा 19 की उपधारा (1)
में विनिर्दिष्ट राज्य लोक सूचना अधिकारी अथवा प्रथम अपीलीय अधिकारी राज्य
सूचना आयोग को उसके आवेदन को भेजने के लिए स्वीकार करने से इंकार कर दिया
हैं।
(ख)
जिसे इस अधिनियम
के अधीन अनुरोध की गई कोई जानकारी तक पहुंच के लिए इंकार कर दिया गया है।
(ग)
जिसे इस अधिनियम के
अधीन विर्निष्ट समय-सीमा के भीतर सूचना के पहुंच के लिए अनुरोध का कोई
उत्तर नहीं दिया गया ।
(घ)
जिसे फीस की रकम
का संदाय करने की अपेक्षा की गई है जो वह अनुचित समझता है।
(ड़)
जो यह विश्वास करता
है कि उसे इस अधिनियम के अधीन अपूर्ण भ्रम में डालने वाली या मिथ्या सूचना
दी गई है।
(च)
इस अधिनियम के अधीन
अभिलेखों के लिए अनुरोध करने का उन तक पहुंच प्राप्त करने से संबंधित किसी
अन्य विषय के संबंध में।
राज्य सूचना आयोग को धारा
18(1) के अधीन किसी मामले में जांच करते समय वही शक्तियां प्राप्त होंगी,
जो निम्नलिखित मामलों के
संबंध में सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अधीन किसी वाद का विचारण करते
समय सिविल न्यायालय के निहित होती हैं।
अपील
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
की धारा 19 के अनुसार अपील का प्रावधान:-
1.
यदि अधिनियम में निर्धारित
समय सीमा के अंतर्गत किसी व्यक्ति को निर्णय प्राप्त नहीं होता है,
या वह निर्णय से संतुष्ट नहीं
है तो
30 दिनों के भीतर वरिष्ठ
सक्षम प्राधिकारी के पास प्रथम अपील कर सकता है।
2.
यदि किसी अपीलार्थी को अपील
प्रस्तुत करने से रोका गया हो या ऐसा प्रर्याप्त कारण हो तथा सक्षम
प्राधिकारी उन कारणों से संतुष्ट
है तो वह 30 दिन की
अवधि समाप्त होने के पश्चात भी अपील पर सुनवाई कर सकता है।
3.
तृतीय पक्षकार के मामले में
भी तृतीय पक्षकार चाहे तो 30 दिवस के भीतर अपील कर सकेगा।
4.
द्वितीय अपील के अंतर्गत
पूर्व के सक्षम प्राधिकारीयों के निर्णय के विरूद्ध निर्णय दिनांक से 90
दिनों के भीतर राज्य सूचना आयोग
के समक्ष द्वितीय अपील कर
सकता है। राज्य सूचना आयोग किसी मामले मे समय सीमा 90 दिवस की अवधि समाप्त
होने के पश्चात
पर्याप्त कारणों के अधार पर
द्वितीय अपील की सुनवाई कर सकता है।
5.
राज्य सूचना आयोग अपील के
प्रकरणों में सक्षम प्राधिकार और अपीलकर्ता को नोटिस जारी करेगा।
6.
राज्य सूचना आयोग अधिनियम के
प्रावधान के अनुरूप सुनवाई करेगा।
7.
इस अधिनियम में न्यायालयों की
अधिकारियों के संबंध में भी उल्लेख है कि कोई भी न्यायालय इस अधिनियम के
अंतर्गत पारित
किए किसी आदेश के संबंध में
किसी बाद या आवेदन प्राप्त करने या अन्य कार्यवाही को संचालित करने हेतु
सक्षम नहीं होगा।
दण्ड का प्रावधान
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
की धारा 20(1) के अनुसार दण्ड प्रावधान:-
जहां राज्य सूचना आयोग
ऐसे किसी मामले में किसी शिकायत या अपील के निराकरण में पाता है कि जन
सूचना अधिकारी ने बिना कारण सूचना के अनुरोध को अस्वीकृत किया है या नियत
समय में सूचना देने में असफल हुआ है या सूचना पूरी नहीं दी या दी गई सूचना
दिग्भ्रमित करने वाली है या विषय-वस्तु भटकाने वाली है तो दण्ड का प्रावधान
है जो प्रतिदिन रू. 250/- से लेकर अधिकतम रू. 25,000/- हो सकता है।
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दण्ड का निर्णय देने से पूर्व सूचना अधिकारी को उन कारणों को स्पष्ट
करने हेतु आयोग अवसर प्रदान करेगा,
जिसके कारण उसने सूचना
नहीं दी। उसे उसके द्वारा लिए गए निर्णय को सत्य सिद्ध करने का मौका
प्राप्त होगा। आयोग चाहे तो सूचना अधिकारी पर अधिनियम की धारा 20(2) के
तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की अनुशंसा भी कर सकता है।
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